सारंगढ़
राज मिनरल में अनियमितताओं के बावजूद न जांच हो रही, न कार्रवाई। क्या ताकतवर संचालक के दबाव में चुप हैं खनिज विभाग और प्रशासन?
गुडेली क्षेत्र में चर्चित राज मिनरल क्रेशर उद्योग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस उद्योग में भारी अनियमितताएं और खनन नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसके बावजूद, खनिज विभाग, जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग जांच तो दूर, इस मामले को देखने से भी कतरा रहे हैं।
जानकारी ये भी है कि राज मिनरल का संचालक इतना पावरफुल है कि अफसरों की कलम तक रुक जाती है। नवनियुक्त कलेक्टर तक ने अब तक इस गंभीर मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया है, जिससे आम जनता के मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या प्रशासनिक चुप्पी के पीछे कोई अदृश्य दबाव है?
स्थानीय खनिज अधिकारियों से जब इस बारे में बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने जांच की संभावना से ही इंकार कर दिया। वहीं, रायगढ़ पर्यावरण विभाग ने भी कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे यह आशंका और गहराती है कि कहीं न कहीं राज मिनरल की पहुंच बहुत ऊपर तक है।
माना जा रहा है कि अगर इस क्रेशर उद्योग और उसकी खदान की निष्पक्ष जांच हो जाए, तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। नियमों की अनदेखी, पर्यावरण को हो रहा नुकसान और खनन मानकों का उल्लंघन – ये सब सामने आ सकते हैं। लेकिन शायद यही वजह है कि कोई भी विभाग खुलकर जांच के लिए सामने नहीं आ रहा।
प्रशासनिक खामोशी और अफसरों का मौन रवैया इस ओर इशारा करता है कि या तो डर है, या मिलीभगत। जनता यह जानना चाहती है कि क्या वाकई एक संचालक इतना ताकतवर हो सकता है कि पूरे सिस्टम को खामोश कर दे?
निष्कर्ष:
राज मिनरल से जुड़े सवाल अब केवल खनिज या पर्यावरण तक सीमित नहीं रहे, ये अब प्रशासन की नीयत और कार्यशैली पर भी उंगली उठाते हैं। अगर सच में पारदर्शिता और कानून का राज है, तो इस उद्योग की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए—वरना जनता का भरोसा टूटना तय है।